Friday, June 10, 2016

अनर्गल बस यूँ ही

1
for vb-
लगता है या तो गर्मी का कहर है या फिर ग्रुप की ना फिकर है।।
एक हम ही रिश्तों की अंगीठी में शब्दों की चिंगारी दे रहे है ।।
वरना किसे याद है अब इधर लौटना ।।
बहुत हताश हूँ , आप सबकी इस ख़ामोशी से ।।
समय मेरे पास भी थोडा है ।
अगर आपका इतना  कीमती है तो-योगी ☺
2
सुकूने खयाल हो ,अनबुझा सा सवाल हो।
अपना सा कोई पल,दुरी से भरा मलाल हो।-योगेश 'योगी'
3
Yogesh  'yogi': ये स्नेहसिक्त बिल्लोरी कजरारी अँखियाँ , लगता है हर अगली दिवार ,झरोखे से झांकती है मुझे । ये बिल्लोरी प्यारी सी अँखियाँ
4
Yogesh  'yogi': ये मीठी मधुर मुस्कान , बनाती मेरी मुखर जान।तड़प रहती तुझे देखने को,कब होगा न जाने मुझपर अहसान ।।
5
भीना सा अहसास हो,मेरी कहानी में खास हो।।
कैसे कह दूँ जुदा हो ,यंही हर वक्त आस पास हो।।
6
तेरी गहरी आँखों की गहराई में डूब जाउ । आ के तुझे ख्वाबों में गुनगुनाऊँ ।।
ॐ 
7
तेरे मेरे ये नेह तागे ..बुने हज़ारों चटख रंग संग पिया।।-योगी
8
हर्फों में से 'हुआ जो हुआ 'नहीं 'काश'लेते हैं।
हम ठंडी राख से भी पुराने गुलाब तलाश लेते हैं।।-योगेश 'योगी'
9
दिखता जो हर तरफ उजला और स्याह ।
महसूस हुआ और सुनी जो चर्चा ।।
पता नहीं क्या झूठ और कितना सच्चा ।-योगी
10
ऐ जिंदगी ,क्यूँ यकीं नहीं होता तू इत्ती पास भी है क्यूं इतनी दूर भी फिर।सांस कभी थमी सी आह भी उभर उभर की सिहर।।ये सजा है किस जुर्म की कि जिसे जिया पल पल वो एक पल भी न पा सका पलक सिर्फ राहें बस नहीं मंझिल उधर की इधर -योगी
11.

कि शाम जब ढलती है-
 तब अक्सर नारंगी लाल होती बदलियाँ और आकाश का अंतिम छोर
जो गहराता जाता है
और गहरा रंग और गहरा हो जाता है
नीड की और विश्राम को लौटते पक्षी
 गोधूलि से अटे रास्ते पे थके मजदुर और लौटते किसान
धीमी रौशनी से जगमगाते लट्टू
और शाम के खाने के बाद खिड़कियों से झांकती आँखे
बुझ चुके चूल्हों से उठता धुंआ
 खामोश होता जाता है चीखता शहर
इक रात आती है दबे पाँव
 आगोश में लेने निंदिया के साथ
के फिर होगी नई सुबह
फिर से चलना है
 अनवरत अनंत की और
ये असीमित यात्रा और आपसा साथ
क्या कहूँ क्या नहीं..
-योगेश'योगी'
12.

धुंधलाती शाम से सरकती रात की हद तक ,गुजरता है कानो में कहता अनकही ,हाँ एक साया उभरता है हवाओं से ।।-योगी

Tuesday, June 7, 2016

चूँटियो

1.

"हमज्यो कई ?"
डापाचुक कहानी 
म्हारो दिल गबरावे ,जीव डबका खावे।
अणि मेंगारत घर कित्तर बसावे ।।
घरवाला जावे नरि छोर्यां  दिखावे ।
छोर्यांवाला श्यावे,छोरो कतरो कमावे ।।
महारो दिल गबरावे ,जीव डबका खावे ।
डिक्रियां तो लायो घणी काम कोणी आवे।
वणा नोकरी बापू बांथ्या खावे ।।
का रे गोळ्गप्पा -थैलो क्यूँ नी लगावे ।
म्हारो दिल गबरावे ,जीव डबका खावे ।।
जीने कई नी आवे ,झट नोकरिया पावे।
आरछण री चाशनी ,गुलब्जाम्बु खावे।।
योग्यता रा अत्तर रो बापू फुम्बो लगावे ।
म्हारो दिल गबरावे ,जीव डबका खावे ।।
-योगेश अमाना 'योगी'
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2.

"हमज्यो कई ?"😂😝😂
ए म्हारी बाई ,आजे धन नरो आई ।
खातो तो खण -खण रुप्या बरसाई ।।

पैदल चाली चाली छाला परा व्या सा।
हारा (ससुराल)में वेरी अबे खूब हंसाई ।।
अबे तो घरर घरर मोटर घर आई ।
खातो तो खण -खण रुप्या बरसाई ।।

घरआळी रोज़ रोज़ मुंडो बिचकावे ।
वेंडी चलम्(प्यार का नाम ) कदी गेना दिलाई ।।
अबे बुटिपालर वाली वन्ने ऐश्वर्या वनाई।।
खातो तो खण -खण रुप्या बरसाई ।।

योगेश अमाना 'योगी'

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3.
"हमज्यो कई ?"😂
यो आजकाले कई वेइरयो है ।
जटी देखो वटी मास्टर रोईरयो है।।
भोला मनख ने प्रशासन गाबा जूं।
कुटी -कुटी ने धोइरयो है।।
सूबे -सूबे भगवत भजन छोड़।
हंगता रा फोटु लेइरयो है।।
यो आजकल कई वेइरयो है..
गर्मी में यायावर वेईने पूछे ।
अबे कठे जानो ?वावलो वेइरयो है।।
यो आजकल कई वेइरयो है..
माँ रा बेटा ने कइस खबर नी पडरी ।
गाड़ी बापड़ा री गड बड़ कर री।।
मिने मिने रोइने आंख्या खोइरो है।
यो आजकल कई वेइरयो है ..
योगेश अमाना 'योगी '

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Sunday, May 8, 2016

लघु कथाएं

लघु कथा = 1

-एक ज्योतिषी लड़के का हाथ देख रहा था । अंत में सब बाते पूछ लड़के ने पूछा -मेरी शादी कब होगी।
ज्योतिषी बोला -25 की उम्र में ।
लड़का हतप्रद हो झट से बोला -पर अभी तो आपने कहा 50 वर्ष और जियूँगा ।।
-योगेश अमाना 'योगी'

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Tuesday, March 29, 2016

ग़ज़ल

1.
कि अब मुहब्बतों का ,तकाज़ा किया न जाए ।
फ़िज़ां में है घुलता धुंआ, भरोसा किया न जाए ।।
परिंदों की ये उड़ानें, पिंजर दफ़न न हो ।
परों में है आज़ादी उन्हें,तन्हा किया न जाए।।
चुराकर रोटी का टुकड़ा,क्या जायेगी भूख तपन ।
मासूम थे वो हाथ ,तमाशा किया न जाए ।।
खिली थी वो कली के,मुस्करा के जहां में ।
जननी है वो उसको तो ,रुखसत किया न जाए।।
'योगी'वो धरती सींचकर,देते हमें दाना ।
मंदिर सा है दिल उनका ,फना किया न जाए ।।
योगेश अमाना 'योगी'

2.

सरहदों की बंदिशों से अब लगता है ।
कोई काली रातों ,यादों में जगता है ॥
खुश्क रेतीली हवाओं की झुलसन ।
कोई ठंडी राखों में भी सुलगता है ॥
'योगी' जंजीरों में जकड़ा बेगुनाह वो ।
पल- पल बेरहम वक्त भी उसे ठगता है॥
-योगेश अमाना 'योगी'

3.

सुबह -शाम कही सुनी बातें ,कि जाहिल मै था।
और जुबां पे आ ही ना पाया,जो मेरे दिल में था ।।

भटकते रहे उसकी तलाश में दर -ब- दर चातक से।
तूफां को मंजिल समझ भुला, कि क्या साहिल में था।।

गुजरते बादल ने बरसते कहा ,'योगी 'गैर हुआ है अपना ।
हंसते -हंसते आँखों में पानी ,भूल गया महफ़िल में था।।
              -योगेश अमाना 'योगी'
4
वक्त लौटा दो सावन ,नफ़ा हो जाये।
मेरा जिस्म मुझसे भले खफ़ा हो जाये।।
गुजरे वो पल बीते वो मंजर फिर।
मेरी सिली यादें बेवफा हो जाये।।
'योगी 'वो रूठा तो रूठा सही मगर।
अबकी बारिश फिर वफ़ा हो जाये ।।
-योगेश 'योगी'

Wednesday, February 24, 2016

दोहा

1.भोले तोरी चाह में ,योगी भयो मलंग ।
सब में शिव को ढूंढता ,भंग सु चढ़ी तरंग ।।
योगेश अमाना 'योगी'
(दोहा ,छन्द)

2. वो खोजे ,मै भी तकूँ ,सब ढूंढत हे उजास ।
दर -दर क्यूँ मारा फिरे,घट मा छुपी हे प्यास।।
-योगेश अमाना 'योगी'
(दोहा ,छन्द)
3.
समय की चाकी चली ,भाव - बिम्ब पीस गए ।
जाकी थी तलाश मोय,ज़रा बात क् रिस गए ।।
योगेश अमाना 'योगी'
(छंद -दोहा)

Tuesday, February 9, 2016

एक गीत-

एक गीत-

मिलना बिछड़ना होता है ,जीवन ऐसा होता है।
आगे देखो,बढ़ते रहो ,हर पल खुशिया बोता है।।
1.खिलता है गुल के बगियाँ में ,खुशिया सभी को बांटे वो ।
खुशबु फैलाये ,मुस्काने भी ,मस्ती के रंग भी छांटें वो ।।
मन वो मन है जो हर पल ही,दुखियों के आंसू धोता है ।
..
मिलना बिछड़ना होता है ,जीवन ऐसा होता है।
आगे देखो,बढ़ते रहो ,हर पल खुशिया बोता है।।
2.मिलते है दोस्त यूँ राहों में ,की राह कुछ आसान हो।
हरते  है दर्द अंतस के ,जिस्म जुदा एक जान हो ।।
वक्त है राहें बदलने का , लम्हा हर इक रोता है ।
..
मिलना बिछड़ना होता है ,जीवन ऐसा होता है।
आगे देखो,बढ़ते रहो ,हर पल खुशिया बोता है।।

- योगेश अमाना 'योगी'

Sunday, January 31, 2016

रश्मियाँ..

अनंत से अंतस..
                                         1

2
जिंदगी भर कुली बने बोझ उठाते रहे ख्वाहिशो का ।।
 जब उतरा तो बिचारी  ख्वाहिशो ने दम तोड़ दिया ।।
योगेश अमाना 'योगी'

3.
क्या थे हम और क्या हो गए ।
अब तो अपने सपने भी सो गए ।।
योगेश अमाना 'योगी'

4

दूर उन झुरमुटों से झांकती रश्मियां कह रही जो अहसास है बहुत खास है शाम के कोहरे से लिपटी एक अदद प्यास है ।
योगेश अमाना 'योगी'
5

बहुत सुकूने खास पल जो दे गए वो मुस्करा पलट के जान ले गए

6
बस ग़ज़ल हुआ जाता हूँ ,जितना समजू खो जाता हूँ ।।

7

हर्फ़ से शब्द दूर ही कित्ते है तेरे मेरे ही जित्ते है ।।
योगेश अमाना 'योगी'
8

पत्ता पतझड का ,तपी धरती पे गिरा है।
बदले मौसम का ,ये भी एक सिरा है।।
फिर इस मौसम कोई झूमी ,
खिलखिलाई ।
ये मोह नशे में, राधा है की मीरा है ।।
योगेश अमाना 'योगी'
9

स्नेहरस सिक्त मधुर सुवास हो अति पास ।

10

सवाल सारे गलत थे, जवाब क्या देते ।
रक़ीब रहा था परख ,हिसाब क्या देते।।
मुरझा रहे थे  गुल बिना बागबां के ।
बादल लगे के बरसुं,जवाब क्या देते।।
'योगी'वो लौटा ,छोड़ शहर की गलियां ।
दर्द से भीगा वो चेहरा ,नकाब क्या देते ।।
योगेश अमाना 'योगी'
#KaafiyaMilaao

11.

कुछ इस तरहा करता , वो बातें ..
जैसे धीमी सी हो बरसातें
मेरा रब मुझे बहुत चाहता ..
कानों में ये सब गुनगुनाती रातें
योगेश अमाना 'योगी'

12

सुकून क्या है ...?? हम नहीं जानते..... !   शायद ये वो है ..... जो तुम्हारे पास आ के मिलता है..
योगेश अमाना 'योगी'

13

मैं कहता रहा अनकही बाते हवाओं से ..बात पहुँचती कैसे ॥पछुआ थी पवन -योगी

14

इश्क करे वो फ़ना होते होंगे । 
हमने तो इबादत की है ...
मुस्कराके झूमते है की नज़रो से मय पि है ..
योगेश 'योगी'

15

मैंने किरचें -किरचें जमा कर भेजी है तेरे झूठे वादों की टूटी तड़कन ।
कि तेरी मुहब्बत की अगली कहानी में ये फिर काम आ जाये ।।-योगेश अमाना 'योगी'

16

मशवरा तो खूब देते है लोग खुश रहा करो । कभी वजह नहीं देते ..योगी

17

बीमार हाल बैठे थे की बिन मांगे दवा मिल गई ।
उनके कदमो की आहट से साँसे खिल गई ।। -योगी

18

उस बिन क्या रहेगी जिंदगी फिर ।
जो छोड़ दे यूँ बंदगी फिर ।।
 19

गुजरता है जिस्म आज भी गहरी रातों में उन रास्तों से जंहा गुजरे थे तुम्हारे क़दमों के निशां ।

20

तुम्हे तो पता भी नहीं । तुम कभी जुदा न थी ।।
जो रूह में रच बस गया हो कैसे जुदा हो
जिस्म जुदा होते होंगे । हमने रूह में समां लिया है रूह को तुम्हारी ।।

21
मत पूछना कभी कि इतना क्यों चाहता हूँ ।। मै अपने जीने की वजह बताने को मजबूर हो जाऊँगा ।।

22
बदली सी गहरी ये काली जुल्फ़े छाई ।जीवन सहरा में मधुमास बन आईं ।।

23
 भी  झपको पलक मेरा दिदार हो ।मेरे  जैसा तुम्हे भी तो अहसास हो ।।-योगी
24
बढ़ी खामोश है ये महफ़िल सब बूत हुये या हम अजनबी।
25
मो.भाई पढ़ते सब है जवाब में ज़रा कंजूसी रखते । दयार से दुरी देखो कमबख्त वक़्त ज़ालिम सा
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तेरी आखों के रस्ते तुझ को  ढूंढने चला था ये बंजारा ,
खुद राह भटक गया !
लिपट सो गया मासूम अब ,कामगार यूँ थक गया !!
- योगेशअमाना'योगी '
27

उसकी निगाहों से इन घुमी राहों से
मुस्कान दिखी मेरी भीगी आहों से -योगी
28

शुभरात्री - शुष्क हवाओं के कागज़ पर आँखों की नमी से लिखी है  कुछ अनकही बाते..दिनभर खुद को धोखा की भूल गया पर नाम तेरे अब राते -योगी
29

वो गुलाब पाँख सी होले से गिरकर उठती पलकों से झांकती दो बिल्लोरी अँखियाँ । आज भी हर राह हर कोने से जैसे चुप छुप घूरती है ।।-योगेश योगी

30

तेरा अक्स ही ज़िंदगी का किस्सा है मेरा,
तू ज़िंदगी का एक अहम् हिस्सा है मेरा..
मेरी ये तड़प  तुझसे, सिर्फ़ लफ्जों की नहीं है,
तेरी रूह से रूह तक का रिश्ता है मेरा..!!-योगेश 'योगी'

31
पल हर पल पिघल रहा है । सबकुछ मौसमो सा बदल रहा है।।
सबकुछ ही मिट जाना है रे माटी ।
ये भाव ये रिश्ता सदियो बस चल रहा है।।- योगेश 'योगी'